तो क्या फिर अपने अभियान में सफल होगी 'गांधी टोपी

अन्ना हजारे के समर्थन में पूरे देश से हजारों के बाद अब लाखों लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा है। इन सभी को एक सूत्र में बांधने का काम रही है गांधी टोपी। गांधी टोपी पहनने का मतलब है, अन्ना हजारे का समर्थन करना।
क्या आप जानते हैं गांधी टोपी की शुरुआत कब हुई थी। १९१९ में जब महात्मा गांधी स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रहे थे। उस समय उनके सिर पर हमेशा पांच गज कपड़े की पगड़ी हुआ करती थी। उसी दौरान जब वे भारत भ्रमण पर निकले तो देखा कि देश के कई हिस्सों में गरीबी का आलम यह है कि लोगों के पास तन ढकने के लिए कपड़े तक नहीं है। खाने के लिए भोजन नहीं है। उन्होंने यह तय किया कि कपड़े का बचत किया जाए। उन्होंने उसी समय पगड़ी को त्याग कर एक कम कपड़ोंं में तैयार टोपी से अपना सिर ढकना शुरू किया। यही वह टोपी है जिसे महात्मा गांधी जी ने १९१९ में अपने सिर पर धारण किया था।
उनके टोपी पहनने का परिणाम यह हुआ कि उस समय जो लोग भी उनके समर्थन में आए, वही खादी की टोपी पहनते गए। अंग्रेजों को यह टोपी काफी खटकने लगी। टोपी पहनने का मतलब ही होता था कि आजादी की लड़ाई में हम शरीक है। गांधी टोपी ने अंगेजों की नाक में दम कर दिया और आजादी की लड़ाई में इस टोपी ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज जो आजादी हमें मिली है, उसमें गांधी टोपी का खास योगदान रहा है। इसी टोपी ने हमें अंगे्रजों से आजादी दिलाई थी। इसी का परिणाम है कि हमारे देश में हमारे द्वारा चुनी हुई सरकार है।
लेकिन १६ अगस्त २०११ से अब यही गांधी टोपी अपने मायने को बदल चुकी है। अब यही गांधी टोपी सरकार बनाने के लिए नहीं, बल्कि सरकार को अपनी बात मनवाने के लिए अड़ गई है। तो क्या इस बार भी गांधी टोपी अपने अभियान में सफल होगी। जिस टोपी को पहनकर लोगों ने आजादी की लड़ाई लड़ी और अंग्रेजों जैसे दमनकारियों को भारत छोड़ कर भागने पर विवश कर दिया। आज उसी टोपी को पहनकर हम भारतीय अपने ही द्वारा चुनी गई सरकार को सबक सिखाने को आतुर है। अब देखना यह है कि क्या यह गांधी टोपी फिर अपने अभियान में सफल होगी। या फिर हमारे द्वारा ही चुनी गई सरकार अंगे्रजों से भी अधिक दमनकारी हो जाएगी। यह तो आने वाला कल ही बताएगा।