अन्ना में दम, अन्नागिरी में कितना दम ?

अन्ना की अन्नागिरी में कितना दम है। यह तो पूरे देश ने देख लिया। आज अन्ना के साथ पूरा देश एक पैर पर खड़ा है। उनके इशारों की आहट पाकर क्या बच्चे, क्या नौजवान सभी पूरे जोशो खरोश के साथ उनके समर्थन में जुटे हैं। अन्ना ने अपने अनशन के बल पर सरकार को भी झुका दिया। सरकार भी उनके आगे नतमस्तक होकर अन्ना की सभी शर्तों को मानने को विवश हो गई। अगर अनशन को लोग इसी तरह समर्थन देते रहे तो तो वह दिन भी दूर नहीं जब सरकार जनलोकपाल बिल को भी मानने को विवश हो जाएगी।
लेकिन क्या जनलोकपाल के आ जाने से देश से भ्रष्टाचार मिट जाएगा। यह एक यक्ष प्रश्र है। आज के समय में हमारे देश में भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए अनेकों तंत्र बनाए गए हंै। केंद्र से लेकर राज्य स्तर पर भ्रष्टाचार को रोकने के लिए अनेकों कानून हैं। लेकिन उसके बाद भी भ्रष्टाचार कम होने की बजाय और बढ़ता जा रहा है। इसको देखते हुए कैसे मान लिया जाए कि जिस कानून को लेकर देश में इस तरह का माहौल बनाया गया है, उसके आने से भ्रष्टाचार पर अंकुश लग जाएगा। हमारे कानून में न्यायपालिका को सर्वोच्च माना गया है। वहां पर जाकर हर किसी को न्याय मिलने की उम्मीद रहती है। लेकिन आज उस पर भी अंगुली उठने लगी है। जजों के खिलाफ महाभियोग लगाने तक की नौबत आ पड़ी है। तो कैसे मान लिया जाए कि जनलोकपाल कमेटी के लोग भ्रष्टाचार में लिप्त नहीं रहेंगे।